ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय 'लीव नो वन बिहाइंड वैश्विक शिखर सम्मेलन' का मंगलवार को विधिवत उद्घाटन छह धर्मो के धर्मगुरूओं यथा हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म, इस्लाम धर्म और क्रिश्चियन धर्म ने किया।
इस शिखर सम्मेलन में परमार्थ निकेेेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, उलेमा फाउंडेशन आफ इंडिया के प्रमुख, मौलाना कोकब मुज़तब, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती, सरदार परमजीत चंडोक, दिल्ली गुरूद्वारा बंगला साहिब, ईसाई धर्मगुरू बैंगलोर से पादरी फिलिप, बिहार से साध्वी शिलाची, असम से मुफ़्ती नसीहुर रहमान, किन्नर अखाड़ा महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथा विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में जिनेवा से आये जेम्स, जीवा, डब्ल्यू एस एस सी सी और एफएनएएसए के संयुक्त तत्वाधान में इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और विभिन्न क्षेत्रों के लोगो के सामाजिक जुड़ावों को बढ़ावा देने हेतु योगदान प्रदान करना तथा भारत सरकार के प्रयासों और स्वच्छ भारत मिशन को सहयोग और समर्थन प्रदान करना है एवं ''लीव ''लीव नो वन बीहाइंड'' तथा भारत सरकार के ओडीएफ प्लस के मौजूदा लाॅच को पूर्ण सहयोग प्रदान करना है। साथ ही भारत सरकार की संयुक्त राष्ट्र टीम को वर्ष 2020 की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा हेतु भारत सरकार को समर्थन और सहयोग प्रदान करना है।
लीव नो वन बिहाइंड शिखर सम्मेलन में युवा, महिलायें, बच्चे, दलित, आदिवासी, ट्रांसजेंडर और लेस्बियन, प्रवासियों, शहरी गरीब, विकलांग लोग, बुजुर्ग, किशोर, किसान और भ्प्ट से पीड़ित लोग, झोंपड़ीवासी, बेघर, मैला ढोने वाले, यौनकर्मी आदि को भारत के विभिन्न राज्यों से 250 से अधिक लोगो को आंमत्रित किया गया है। तीन दिनों तक उन्हें वाॅटर, सैनिटेशन और हाइजीन, मासिक धर्म स्वच्छता, स्वास्स्थ्य, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (जैविक, प्लास्टिक, ग्रे वॉटर और मल, कीचड़ प्रबंधन) प्रशिक्षित किया जायेगा। वास्तव में यह शिखर सम्मेलन स्वच्छ भारत मिशन को और आगे ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
विनोद मिश्रा ने लीव नो वन बिहाइंड समिट के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि इसमें भारत के 20 राज्यों के 20 से अधिक संगठनों ने सहभाग किया है। जुलाई 2020 में पूरे विश्व की एसडीजी रिपोर्ट (जिसमें वाटॅर, सैनिटेशन और हाईजीन शामिल है) जानी है। इसमें भारत सरकार भी अपनी रिपोर्ट भेंजेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सब के दर्द को अपना दर्द समझें। ईशावास्यमिंद सर्वम्, ''ये पहला सबक है किताबे खुदा का कि मखलूक सारी है कुनबा खुदा का'' को अपने जीवन का मंत्र बनाना होगा। हम सभी एक पिता की सन्तान हैं और इसके लिये हमें अपनी सोच को बदलना होगा। भय के साथ नहीं भाव के साथ जीना होगा। उन्होने कहा कि समाज में जो लोग पीछे छुट गये है उन्हें देखकर हमारे दिल में दर्द होना चाहिये। शौचालय सब के लिये बने लेकिन हम भी सब के लिये बने तो परिणाम और सुखद प्राप्त होंगे।
मौलाना कोकब मुज़तबा, ने कहा कि जल और स्वच्छता की प्रत्येक मनुष्य और सभी प्राणियों को जरूरत है। सफाई, ईमान का हिस्सा है अतः स्वच्छता की जिम्मेदारी संस्थाओं, सरकार और संगठनों की है इस जिम्मेदारी को हम सभी पूरा करे तो स्वच्छ भारत मिशन और उन्नति करेगा।
परमजीत सिंह चंडोक ने कहा कि एक पिता एकस के हम वारिस अतः हमें जल और स्वच्छता के लिये मिलकर कार्य करना होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में जल की समस्यायें बढ़ सकती है इसलिये हम सभी को वाॅटर हार्वेस्टिंग पर अधिक ध्यान देना होगा।
किन्नर अखाड़ा महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि आत्मा का कोई लिंग नहीं होता। दुनिया में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो चाहे कि हम पीछे छुट जायें, ऐसा कोई नहीं चाहता। सरकार सभी को लिये प्रयास करती है लेकिन कई बार लोगों तक कुछ नहीं पहुंचता। उन्होने कहा कि सभी को अपने अधिकर और हक के बारे में पता होना चाहिये। हमें एकजुट होकर अपनी आवाज को उठाना होगा। उन्होने कहा कि हमें भी भारत में समान स्तर चाहिये। प्रत्येक फार्म पर हमारे जेन्डर का भी उल्लेख हो।
शिखर सम्मेलन में सहभाग हेतु दिल्ली, उत्तरप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, हरियाणा, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों के 250 प्रतिभागी और कनाडा, संयुक्त राष्ट्र, जिनेवा से आये विशेषज्ञों ने सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के सान्निध्य में सभी ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु वाॅटर ब्लेसिंग सेरेेमनी सम्पन्न की। सभी धर्मगुरूओं और प्रतिभागियों ने स्वच्छता और स्वच्छ जल के लिये मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया। सभी पूज्य संतों एंव धर्मगुरूओं को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। तत्पश्चात सभी ने विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया।