अध्यापकों पर जबरन स्कूल बंद करवाने का दबाव
हरिद्वार। बीआरसी बहादराबाद को शिक्षक संघ की राजनीति का एक बड़ा अखाड़ा बनाकर रखने वाले शिक्षक संगठन के नेताओं ने खुलकर अपनी मनमानी करनी शुरू कर दी है । आलम यह है कि प्रशिक्षण के दौरान ही शिक्षकों को आंदोलन के लिए स्कूल बंद कराने का दबाव बनाया जा रहा है। जो लोग भरी सर्दी में बच्चों के खाने को बाधित नहीं करना चाहते तथा नाही स्कूल बंद करना चाहते हैं उनको भी बातें किया जा रहा है जनपद हरिद्वार का अधिकारी विहीन शिक्षा विभाग अनाथ दिखता है तभी तो संघ के नेता स्कूल के समय में अपना अपना स्कूल छोड़कर प्रशिक्षण केंद्रों में घुसकर राजनीति कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बीआरसी बहादराबाद एक लंबे समय तक प्राथमिक शिक्षक संगठन की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है स्थिति इतनी विकट थी कि किसी भी समय शिक्षकों के तथाकथित आका स्कूल बंद करा दिया करते थे तथा इनकी बैठक में तथा संगठन की अन्य गतिविधियां यही से संचालित हुआ करती थी खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भी एक तरह से इन्होंने बंधक बना रखा था शिक्षा कौन है उस समय एक बड़ा आंदोलन खंड शिक्षा अधिकारी एवं उप शिक्षा अधिकारी कार्यालय को शहर में शिफ्ट कराने के लिए छेड़ा था इसके पीछे तर्क यह भी था कि बीआरसी में दोपहर बाद कथित रूप से मयखाना शुरू हो जाता था अब एक बार फिर प्रशिक्षण के बहाने ही शिक्षक संघ के तथाकथित नेताओं ने अपने स्कूलों को स्कूल समय में छोड़कर यहां राजनीति चमकानी शुरू कर दी है। यूं तो प्रशिक्षण के लिए बाकायदा अधिकारियों को दायित्व शॉप पर गए थे परंतु प्रशिक्षण कक्षाओं में देर तक बैठकर शिक्षक नेता रौब गालिब कर गए जिसकी दबी जुबान शिक्षकों ने भर्त्सना की है बताते चलें कि पुरानी पेंशन के मसले पर शिक्षक संघ का ब्लॉक स्तरीय आंदोलन अधिकांश शिक्षक नकार चुके हैं उनका कहना है कि जब पूर्व में पेंशन को लेकर विभिन्न आंदोलन चलाए गए उसमें शिक्षक संगठन उदासीन रहा तथा अब पेंशन के नाम पर राजनीति की जा रही है ब्लॉक स्तर के आंदोलन की असफलता के बाद 18 दिसंबर की प्रस्तावित रैली में अपनी इज्जत बचाने को लेकर शिक्षक नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि इस दिन विवेकाधीन अवकाश लेकर पूर्णता बंदी का फरमान जारी कर दिया गया जबकि बच्चों को दिन का भोजन खिलाने के बाद भी रैली निकाली जा सकती थी परंतु इससे शिक्षक नेताओं को कोई सरोकार नहीं इससे पूर्व भी अपनी इसी लालफीताशाही के चलते यह लोग सैकड़ों शिक्षकों पर रानीपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा चुके हैं तथा सैकड़ों शिक्षकों का स्पष्टीकरण भी तलब हो चुका है वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अनाथ हो जाने के कारण भी पदाधिकारी निरंकुश हो चले हैं जनपद में कोई भी अधिकारी पूर्णकालिक नहीं है जिसका फायदा यह लोग उठा रहे हैं ऐसी स्थिति में वह शिक्षक परेशान हैं जो स्कूल खोलना चाहते हैं तथा इनके इस प्रोपेगेंडा में साथ नहीं हैं।