​जीरो टोरिलेंस की सरकार में खनन माफियाओं का खेल,बाड़ गंगा में तालाब खुदायी के नाम पर हो रहा अवैध खनन


हरिद्वार। जनपद के लिए अवैध खनन व खनन माफिया नासूर बन चुके है। गंगा तटीय छेत्रो में हो रहे इस अवैध खनन को लेकर मातृ सदन आश्रम के संत जंहा आंदोलनरत है तो वन्ही बेख़ौफ़ खनन माफिया बाणगंगा नदी सीना छलनी करने में मस्त है। इस अति गम्भीर मुद्दे पर प्रशासनिक अमले की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।


कुम्भ नगरी के रूप में विख्यात हरिद्वार को अब खनन नगरी के रूप में भी पहचाना जाने लगा है। पिछले कई वर्षी से बेख़ौफ़ खनन माफियो ने गंगा तटीय छेत्रो में अवैध खनन कर गंगा तटों व मौजूदा पारिस्थिकी तंत्र को तहस नहस कर दिया है। एक बार फिर हरिद्वार के अलावलपुर गाँव तालाब खुदाई की आड़ में जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है, ट्रेक्टर ट्रालियों में भरकर खनन सामग्री ठिकाने लगाई जा रही है। अवैध खनन को लेकर मात्र सदन के दो संत अपने प्राणों की आहुति दे चुके है तो वही अब साध्वी पद्मावती पिछली 15 दिसंबर से अनशनरत है। मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने इस तालाब खुदाई के नाम पर हो रहे अवैध खनन के लिए सीधा राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और तालाब खोदकर खनन सामग्री उठाने को अवैध खनन बताते हुए सरकार को पत्र लिखने की बात कही है। 
जिला प्रसाशन यू तो अवैध खानान को लेकर समय समय पर कार्यवाही करने का दावा तो करता है, मगर फिर से स्थिति जस की तस है। हरिद्वार के नवनियुक्त जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि जिले में कही भी अवैध खनन नहीं होने दिया जायेगा, और बाणगंगा में तालाब के नाम पर हो रहा अवैध खनन का मामला  उनके संज्ञान में नहीं था, मगर अब संज्ञान में आने के बाद अब सबंधित अधिकारियो को दिशानिर्देश देकर सख्त कार्यवाही की जाएगी। 


इस छेत्र में पिछले कई वर्षो से हो रहे खनन ने कई संकट पैदा कर दिये है। खनन नीति स्पस्ट न होने से हालात, बद से बदतर हो चुके है। राज्य सरकार को जल्द ही उस दिशा में ठोस पहल करनी होंगी।