राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिए DM को जांच के आदेश


हरिद्वार। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने धरना प्रदर्शन के चलते स्कूल बंद होने से पढ़ाई बाधित होने और मध्याह्न भोजन न बनने के चलते गरीब बच्चों को अधिकारों से वंचित करने पर नाराजगी जताई है। इसे लेकर जिला मजिस्ट्रेट को 20 दिन में मामले में कार्रवाई कर रिपोर्ट पूरे तथ्यों के साथ देने के आदेश दिए हैं।


सिविल कोर्ट रोशनाबाद के अधिवक्ता प्रदीप सहगल ने 19 दिसंबर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि हरिद्वार जिले में प्रधानाध्यापकों को तीन विवेकाधीन अवकाश रखने का अधिकार है। इसका उपयोग करने के बाद उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के धरना प्रदर्शन के चलते नवंबर 2019 में अलग-अलग तिथियों पर विभिन्न ब्लॉकों में स्कूलों में बंदी के चलते न तो पढ़ाई हुई और न ही मध्याह्न भोजन बना। इससे शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर गरीब बच्चों को शिक्षा और मध्याह्न भोजन से वंचित रखा गया। मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वरिष्ठ परामर्शदाता रमण कुमार गौर ने आदेश जारी करते हुए जिला मजिस्ट्रेट से मामले में त्वरित कार्रवाई कर आयोग को 20 दिन में आवश्यक दस्तावेजों के साथ जांच आख्या उपलब्ध कराने को कहा है। गौरतलब है कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने धरना/ रैली आदि का आयोजन किया था। सूत्रों के अनुसार अन्य जनपदों में स्कूल खुले तथा स्वयं का अवकाश लेकर शिक्षकों ने आंदोलन में प्रतिभाग किया परंतु जनपद हरिद्वार में कथित रूप से संघ के पदाधिकारियों ने भ्रामक जानकारी दी। इसके तहत 25 नवंबर से 30 नवंबर तक अलग अलग तिथि में विद्यालय प्रभावित हुए तथा 18 दिसंबर को जिला स्तरीय रैली हुई। अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।