भगवान परशुराम का जप करने वाले भक्त को होती इच्छित फल की प्राप्ती : पं.अधीर कौशिक


हरिद्वार। आज शनिवार और रविवार दो दिन भगवान परशुराम के अवतरण दिवस के रूप में मनाए जा रहें है। कोविड—19 के कारण देश में लागू लॉक डॉउन के कारण सभी परशुराम भक्त अपने घरों में रह कर ही इस दिन को अपनी अपनी और भव्य मना रहें है। हरिद्वार में भी परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक ने इस अवसर पर भगवान परशुराम की महिमा के विषय में बातते हुए कहा कि ——


ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।"
यह इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है। इसका जाप करने वाले व्यक्ति को भगवान परशुरामजी के आशीर्वाद से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। भगवान परशुरामजी, त्रेता युग में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे लेकिन यह सर्वविदित है कि वे भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किए रहने के कारण वे परशुराम कहलाए। चक्रतीर्थ में किए कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। भगवान परशुराम जी शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने गंगा पुत्र भीष्म, गुरु द्रोण व महान दानवीर कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा।  वे पुरुषों के लिये आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे। उन्होंने अत्रि की पत्नी अनसूया, अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने प्रिय शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी-जागृति-अभियान का संचालन भी किया था। अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया है। विश्व के समस्त सनातनीयों को भगवान परशुरामजी की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं । 
आपका शुभ चिंतक पण्डित अधीर कौशिक,अध्यक्ष,परशुराम अखाड़ा।