हरिद्वार। राज्य के 16500 विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों का एनसीटीई से मान्यता का प्रकरण लगातार उलझता चला जा रहा है । एक तरफ जहां लंबी अवधि के उपरांत भी एनसीटीई से विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण को अब तलक मान्यता नहीं मिली है वहीं दूसरी ओर इन शिक्षकों पर अब प्रमोशन ना होने की तलवार लटक गई है। इस सारे प्रकरण पर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व दर्जा धारी राज्यमंत्री रविन्द्र जुगरान ने तल्ख टिप्पणी की है।
गौरतलब है कि बीते दिनों राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में प्रमोशन का रास्ता खोला है इसमें सबसे बड़ा विभाग शिक्षा विभाग है जिसमें विभिन्न स्तरों पर एक लंबे समय से प्रमोशन रुके हुए थे। अब क्योंकि सरकार ने प्रमोशन करने का फैसला लिया है तो इसमें सर्वाधिक प्रभावित वह शिक्षक हो रहे हैं जो विशिष्ट बीटीसी के जरिए सेवा में आए हैं। ऐसे शिक्षकों की कुल संख्या 16500 है प्रकरण के अनुसार विभागीय चयन प्रक्रिया के तहत समस्त शिक्षक चयनित हुए तथा राज्य की विभिन्न डायटों से उनके द्वारा नियमानुसार प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है। प्रशिक्षण के उपरांत विभाग ने समस्त शिक्षकों को बतौर सहायक अध्यापक नियुक्ति दी तथा यह शिक्षक प्रशिक्षित वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं । इस पूरे प्रकरण में पेंच है कि यह सभी डायट सरकारी है तथा यह विगत सरकारों की गलती है कि उन्होंने अपनी इन डायट में प्रशिक्षण चलाने के दौरान एनसीटीई से इसका अनुमोदन नहीं लिया इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा धारी राज्यमंत्री रविन्द्र जुगरान का कहना है कि यह अत्यंत गंभीर मसला है इस पूरे प्रकरण में शिक्षकों की कोई गलती नहीं है। इसके बावजूद भी विभागीय अधिकारियों तथा राज्य सरकार के बार-बार लिखे जाने के बावजूद भी अभी तक एनसीटीई से मान्यता नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मामले के निस्तारण का आश्वासन दिया था। अब क्योंकि वर्तमान मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पूरे प्रकरण से वाकिफ हैं ऐसे में इसका शीघ्र निस्तारण होना चाहिए। श्री जुगरान ने एक वीडियो संदेश जारी कर शिक्षकों को आश्वस्त किया कि मामले के निस्तारण के लिए पूर्ण प्रयास किया जाएगा। यह भी गौरतलब है कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण में शिक्षक संगठनों की भूमिका को भी कटघरे में खड़ा किया है और यह बात कई अर्थों में सही भी है इसका कारण यह है कि शिक्षक नेताओं द्वारा इस पूरे प्रकरण पर राजनीति की जा रही है। जब यह प्रकरण निस्तारित भी नहीं हुआ था तभी नेताओं के गले में फूल माला डालकर उनका स्वागत कर दिया गया अब स्थिति यह है कि प्रमोशन के दरवाजे पर खड़े शिक्षक अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और कोई भी शिक्षक संगठन का नेता इस प्रकरण पर कुछ कहने को तैयार नहीं है तथा चिट्ठी बाजी कर मामले से पल्ला झाड़ लिया जा रहा है। जनपद हरिद्वार मैं ऐसे शिक्षकों की खासी संख्या है परंतु सूत्र बताते हैं कि जिलाध्यक्ष अशोक चौहान की पत्नी का भी प्रकरण ऐसा ही है तथा वह पूर्व में पदोन्नति पा चुकी हैं । अब सवाल यह उठता है कि एक ही जैसे प्रकरण में दो तरह का तरीका कैसे विभाग अपना सकता है वहीं दूसरी ओर यह भी पता चला है कि कई शिक्षक नेता ऐसे हैं जिन्होंने ब्रिज कोर्स ओर डीएलएड में अपना पंजीकरण करा लिया था। शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों के इस रवैये शिक्षक आक्रोषित हैं।