ऋषिकेश। शान्ति की प्रतिमूर्ति और शान्ति नोबल पुरस्कार से नवाजे़ गये 14 वें दलाई लामा को उनके 85 वें जन्मदिवस की शुभकामनायें देते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि साधारण किसान परिवार में जन्मी असाधारण प्रतिभा जिसने दुनिया को अपने जीवन, विचारों और कर्म से शान्ति, प्रेम और करूणा का संदेश दिया। दलाई लामा जी केवल बुद्ध धर्म की नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता की बात करते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दलाई लामा के साथ बिताये दिव्य क्षणों को याद करते हुये कहा कि वर्ष 1999 में हमने वाराणसी की अब विश्व प्रसिद्ध एवं भव्य गंगा आरती की शुरूआत पूज्य दलाई लामा , पूज्य शंकराचार्य, स्वर्गीय दादा वासवानी , भजन सम्राट अनूप जलोटा , भजन गायिका अनुराधा पौड़वाल , स्वर्गीय रविन्द्र जैन जैसे अन्य विश्व प्रसिद्ध हस्तियों के पावन सान्निध्य में की थी जिसे आज आज इनक्रेडिबल इण्डिया (अतुल्य भारत) में स्थान प्राप्त है।
वास्तव में उनका धर्म ही शान्ति और दयालुता का संदेश देना है। उनका प्रकृति प्रेम अद्भुत है, वे कहते हैं कि ’’हम मनुष्य प्रकृति से ही जन्मे हैं इसलिए हमारा प्रकृति के खिलाफ जाने का कोई कारण नहीं बनता। पर्यावरण धर्म या नीतिशास्त्र का नहीं बल्कि नैतिकता का मामला है। जीवन की कई विलासिताएं हैं जिनके बिना हम गुजर-बसर कर सकते हैं लेकिन यदि हम प्रकृति के खिलाफ जाते हैं तो हम जिंदा नहीं रह सकते।’’ साथ ही उनके मानवता परक, मनुष्य के सार्वभौमिक दायित्व, अहिंसा आदि संदेश तथा आने वाली युवा पीढ़ियों के हित के लिये पर्यावरण की देखभाल करने वाले संदेश सभी के लिये प्रासंगिक हैं।
दलाई लामा ने अपने अनेक उद्बोधनों के माध्यम से भारत की प्राचीन संस्कृति, शान्ति, करूणा और अहिंसा के सदेंशों को दोहराते हुये कई बार कहा है कि एक शरणार्थी के रूप में हम तिब्बती लोग भारत के लोगों के प्रति हमेशा कृतज्ञता महसूस करते हैं, न केवल इसलिए कि भारत ने तिब्बतियों की इस पीढ़ी को सहायता और शरण दी है, बल्कि इसलिए भी कि कई पीढ़ियों से तिब्बती लोगों ने इस देश से पथप्रकाश और दिव्य संस्कृति को प्राप्त की है। इसलिए हम हमेशा भारत के प्रति आभारी हैं और रहेंगे। यदि सांस्कृतिक नजरिए से देखा जाए तो हम भारतीयसंस्कृति के अनुयायी हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वास्तव में ऐसी सोच एक सार्वभौमिक व्यक्तित्व के धनी दलाई लामा ही रख सकते हंै, ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखें और दीघार्यु रखें क्योंकि वर्तमान समय में दुनिया को मानवता का संदेश देने वाले ऐसे व्यक्तित्व की अत्यंत आवश्यकता है।
स्वामी ने कहा कि सार्वभौमिक सोच के साथ सम्पूर्ण मानवता के लिये जीने वाले पुरोधाओं की वर्तमान समय में नितांत आवश्यकता है। उन्होने कहा कि दलाई लामा शरणार्थी नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति को प्रतिपल जीने वाले अद्भुत योद्धा हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दलाई लामा की दीघार्यु के लिये तुलसी के पौधे का रोपण किया तथा तुलसी का सुन्दर सा पौधा उन्हें भेंट किया।
दलाई लामा का भगवान बुद्ध के विचारों को जीवंत रखने और दुनिया के लोगोें तक पहुंचाने में अद्भुत योगदान-स्वामी चिदानन्द सरस्वती